आज हम लोग ग्लूकोमा के बारे में बात करेंगे यह एक ऐसी बीमारी होती है जिसे आंखों का चोर भी बोलते हैं इसके कारण हमारे आंखों की रोशनी बहुत ही धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस बीमारी को मेडिकल के भाषा में ग्लूकोमा बोलते हैं और सामान्य बोल चाल की भाषा में काला मोतिया बोलते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिससे आंखों पर दबाव बढ़ जाता है, और आंखों की नस सूखने लगती है जिससे हमें धीरे-धीरे दिखना कम होने लगता है।
काला मोतिया के कारण जब एक बार आंख की रोशनी कम हो जाती है तो उसे पुणे पहले जैसा करना बहुत ही मुश्किल हो सकता है इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आँखों की नियमित जाँच कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि आँखों पे पड़ने वाले दबाव का कारन पहचाना जा सके और उसका तुरंत उपचार किया जा सके |
प्रकार
ओपन एंगल ग्लूकोमा
ओपन एंगल ग्लूकोमा या ग्लूकोमा का सबसे निम्न रूप है परितारिका और कॉर्निया द्वारा निकली जल निकासी कोड खुला रहता है लेकिन जल निवासी प्रणाली के अन्य हिस्सों से ठीक से चल निकासी नहीं होता है इससे आंखों के दबाव में धीमी क्रमिक वृद्धि हो सकती है
एंगल क्लोजर ग्लूकोमा
तीव्र आंखों में अचानक शुरू होने वाले दर्द और लाल का कारण बनाने वाला होता है “कोण–बंद मोतियाबिंद”। जिसमे तरल पदार्थ आंखों के अंदर फस जाता है और दबाव बनता है इस स्थिती में आपको तुरंत डॉक्टर का सलाह ले कर नियमित चिकित्सा की जरूर करा ले।
नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा
सामान्य तनाव मोतियाबिंद एक निदान है जो प्राथमिक खुले कोड मोतियाबिंद के समान मानदंडों मानदंडों के आधार पर किया जाता है लेकिन इसे महत्वपूर्ण नैदानिक भेद होता है इसे रेटिना तांत्रिक फाइबर परत में छाती के कारण ऑप्टिक तंत्रिका सर की खुदाई या कैंपिंग कहा जाता है जिसे हमें देखने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कोनजेनाइटल ग्लूकोमा
जन्मजात ग्लूकोमा एक गंभीर आंख की स्थिति है जो दृष्टि नानी का कारण बन सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर संकेत और लक्षणों को तुरंत पहचान ताकि उपचार जल्द से जल्द शुरू हो सके। आमतौर पर छोटे बच्चों की आंख की मरम्मत और तरल पदार्थ निकलने के लिए सर्जरी की जाती है यह उपचार ऑप्टिक तंत्रिका पर दबाव और तनाव को तुरंत काम कर सकते हैं।
सेकेंडरी ग्लूकोमा
सेकेंडरी ग्लूकोमा एक ऐसी चिकित्सा समस्या का कारण होता है जो आंख के इंट्राओकुलर दबाव को बढ़ाता है, जिससे स्थाई ऑप्टिक तंत्रिका क्षति हो जाती है। आर्थिक तंत्र का आपकी आंख और मस्तिष्क के बीच संचार मार्ग है, यदि इलाज न किया जाए तो ग्लूकोमा से गंभीर दृष्टी परिवर्तन और अंधापन हो सकता है।
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लक्षण
आंखों में तेज दर्द, सर में दर्द होता और उल्टी महसूस होती है रोशनी के चारों तरफ घेरे दिखते हैं लेकिन जो ओपन एंगल ग्लूकोमा होता है उसमें हमारी रोशनी धीरे-धीरे पेरीफेरल विजन जैसे हम लोग की साइड की चीज नॉर्मली दिखती है। जैसे ग्लूकोमा बढ़ता है तो हमें साइड की विजन कम होने लगती है रोशनी के चारों तरफ रंगीन घेरे दिखना, सर में दर्द होना, आंखों में दर्द होना, शाम को अक्सर आंखों का दर्द बढ़ जाना, कम लाइट में यह सारी चीज होती है, जो ग्लूकोमा के तरफ संकेत करती हैं।
जोखिम कारक
- 40 वर्ष से ज्यादा उम्र होना
- परिवार में किसी को काला मोतिया होना
- मधुमेय होना
- एस्टोराइड दवाई खाना
- हाई मयोपिया होना
- हाइपर माईट्रोपिया होना
- उच्च रक्त चाप
- माइग्रेन आदि ग्लूकोमा के जोखिम कारक ही सकते है।
अगर परिवार में किसी को ग्लूकोमा नहीं है फिर भी 40 वर्ष के उपरांत आंख का जांच आवश्य कराए जिसमे आंख का दबाव की जांच की जाती है और भी कई जांचे की जाती है, जैसे– ओसीटी आदि।
उपचार
शुरुआत में ग्लूकोमा के लक्षण दिखने पर दवाई दी जाती है, और आंख का ड्रॉप दिया जाता है। काला मोतिया काफी हद तक निरंत्रण रहता है। अगर आंख के ड्रॉप से निरंत्रण नही होता है तब नियमतापूर्वक लेजर किया जाता है। अगर लेजर करने के बाद भी काला मोतिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। तब उसके बाद सर्जरी की जाती है। तो बेहतर यही है कि अपने नेत्र को।ले कर जागरूक रहे, और अपने नेत्र की जांच करते रहे। जिससे हमारे आंख की रोशनी को ग्लूकोमा जैसी बीमारी प्रभावित न कर पाए। अगर आपकी उम्र 40 वर्ष के उपरांत है तो आप आपने आंखों की नियमित जांच जरूर कराए जिससे कि आपको आंखों में होने वाली बीमारी से बचाया जा सके।
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